श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।
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कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
O the Son of Wind, You tend to be the destroyer of all sorrows. You will be the embodiment of fortune and prosperity.
सुग्रीव बालि के भय से व्याकुल रहता था और उसका सर्वस्व हरण कर लिया गया था। भगवान् श्री राम ने उसका गया हुआ राज्य वापस दिलवा दिया तथा उसे भय–रहित कर दिया। श्री हनुमान जी ने ही सुग्रीव की मित्रता भगवान् राम से करायी।
भावार्थ – श्री गुरुदेव के चरण–कमलों की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को निर्मल करके मैं श्री रघुवर के उस सुन्दर यश का वर्णन करता हूँ जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को प्रदान करने वाला है।
श्री हनुमान जी की महिमा अनिर्वचनीय है। अतः वाणी के द्वारा उसका वर्णन करना सम्भव नहीं।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जितः॥
भावार्थ – जो इस (हनुमान चालीसा) का सौ बार पाठ करता है, वह सारे बन्धनों और कष्टों से छुटकारा पा जाता है और उसे महान् सुख (परमपद–लाभ) की प्राप्ति होती है।
Now demonstrated as a true devotee, Rama cured him and blessed him with immortality, but Hanuman refused this and questioned just for a spot at Rama's toes to worship him.
Hanuman Chalisa was composed by Tulsidas, a sixteenth-century poet-saint who was check here also a philosopher and reformer. Tulsidas can be renowned as being the composer of Ramcharitmanas for his devotion to Shri Rama.
Hanuman Chaleesa is often a devotional track devoted to Lord Hanuman. It is actually recited to acquire obvious and focused mind with brimming with Vitality and focus.
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व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा में श्री हनुमान जी की स्तुति करने के बाद इस चौपाई में श्री तुलसीदास जी ने उनसे अन्तिम वरदान माँग लिया है कि हे हनुमान जी! आप मेरे हृदय में सदैव निवास करें।
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